गुरुवार, 13 अगस्त 2009

हवन से जाएगा स्वाइन फ्लू

सम प्रीकोशनरी मेजर्स अगेंस्ट स्वाइन फ्लू-यूज ए फेस मास्क व्हैनएवर आउट, यूज ए लॉट आफ एल्कोहल सेनीटाइजर्स डिटॉल हैव बौइल्ड वाटर, वाश योर हैंड्स, मैनी टाइम्स अवाइड ईटिंग आउट साइड फूड, हैव ए लॉट आफ टाइम लाइम, विटामिन सी, कीप योर वॉडी वार्म एंड अवाइड पब्लिक यूरीनल्स, प्लीज पास दिस मैसेज टु आल कान्टेक्ट हूम यू केयर।
यह मैसेज बताता है कि स्वाइन फ्लू से लोग किस कदर दहशत में हैं। मेट्रो सिटीज में इसका हौवा ही खड़ा नहीं हो गया है, बल्कि लोग इससे तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। इसका बचाव बताया जा रहा है आइसोलेशन। लेकिन हम यहां ज्योतिष और भारतीय औषधि परंपरा का अध्ययन करें और निर्वाह करें तो इससे बचाव का कारगर तरीका मिल सकता है। ज्योतिष शास्त्र कहता है कि जब भी चंद्र की कर्क राशि में सूर्य ग्रहण पड़ता है तो संक्रामक और नयी बीमारियां फैलती हैं। जुलाई माह में सूर्य ग्रहण के ठीक बाद ही स्वाइन फ्लू ने भारत में दस्तक दी थी।
एक और कारण जो हमें अपने अनुभव से समझ आता है, वह है सूखा। पता नहीं कोई वैज्ञानिक रिसर्च इस मामले में हुई है या नहीं, पर इतना तय है कि जब-जब मानसून की बारिश नहीं होती, इस तरह के रोग फैलते हैं। याद कीजिए वर्ष 2002,2003 का सूखा, जब इंग्लैंड से यहां आकर गाय का बुखार हौवा खड़ा कर रहा था। इसके बाद 2004 में बारिश खूब हुई और यह फ्लू चला गया। वर्ष 2005 में बारिश ने रुलाया तो चिकनगुनिया ने देश में सैकड़ों मौतें दीं। शरीर को तोड़ देने वाला यह बुखार और झटपट मौत के आगोश में सुला देने वाला यह फ्लू तीन साल रहा। 2005,2006 और 2007 में देश भर में लोग इससे मरते रहे, लेकिन 2008 में मानसून मेहरबान हो गया और इस फ्लू से निजात मिल गयी। इस साल 2009 में सूखा पड़ा तो स्वाइन फ्लू का वायरस फैल गया है। तो कोई न कोई संबंध सूखा और इस प्रकार के गंभीर वायरस के बीच है। बारिश होते ही ऐसे वायरस मरने लगते हैं।
अब श्री कृष्ण जन्माष्टमी से बारिश शुरू हुई है तो उम्मीद है स्वाइन फ्लू अपने जबड़े चौड़े नहीं कर पाएगा।
इसका दूसरा पहलू है दूषित वातावरण। हम लोग हवन-यज्ञ की परंपरा से दूर जा रहे हैं। अगर इन दिनों घर-घर छोटे हवन किए जाएं और उसमें गोबर के उपले, औपधीय वृक्षों की लकड़ी, छाल औऱ समिधा-सामग्री का प्रयोग किया जाए तो यह वायरस इक दिन में मर सकता है। दुर्भाग्य है कि सरकारें अपनी समृद्ध चिकित्सा व कर्मकांड प्रणाली पर विचार तक करना कट्टरवाद समझती हैं। बाबा रामदेव ने गिलोहे के पत्ते, तुलसी के पत्तों का प्रयोग बताया है, यह बहुत कारगर तरीका है। इन दिनों लोगों को नींबू का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए। याद करिए चिकनगुनिया में भी तुलसी के पत्ते और नींबू डालकर गुनगुना पानी पीने से ही लाखों लोगों ने स्वास्थ्य लाभ किया था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की आप सब साथी लोगों को शत-शत बधाई।
पवन निशान्त
http://familypandit.blogspot.com

3 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सब अपनी दुकानें चला रहे हैं स्वाइन फ्लू के नाम पर, हवन की भी क्यों न चले?

संगीता पुरी ने कहा…

मेट्रोज में आइसोलेशन कैसे संभव है .. कितनी भी सावधानी बरती जाए .. प्रकृति के आगे किसी का वश नहीं चल सकता !!

sandhyagupta ने कहा…

Der aaye durust aaye.

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mathura, uttar pradesh, India
पेशे से पत्रकार और केपी ज्योतिष में अध्ययन। मोबाइल नंबर है- 09412777909 09548612647 pawannishant@yahoo.com www.live2050.com www.familypandit.com http://yameradarrlautega.blogspot.com
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