रविवार, 28 फ़रवरी 2010

उसके चेहरे पर मेरी उंगलियां

एक शाम जब उसके चेहरे पर
होती हैं मेरी उंगलियां
समंदर से उगने वाली रात
चाहती है किसी तरह मुझसे छू जाए
और शाम बनी रहे घर्षण होने तक

एक शाम जब उसके सीने पर
सिर रखकर सुनना चाहता हूं मैं
बदलते समय के मासूम सवालों का संगीत
रात मेरी जेब में रखी डायरी में
दर्ज होने की प्रार्थना करती है

किसी रात जब मैं
उसके वक्ष पर तन कर
लहराने का यत्न करता हूं
पांच साल पुरानी विधवा सी
वह रात सो नहीं पाती

मुझे यकीन है
उससे दूर रहकर मैं उसे
उससे ज्यादा समझ सकता हूं
पर वह न छू लेने वाले अंगों में भी
ऐसे दौड़ती है, जैसे छू लेगी तो
कभी नहीं रुकेगी दौड़ने में

जिस शाम उसके चेहरे पर होती है मेरी उंगलियां

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

होली में जलना होता है

यह चिड़िया गाते-गाते
चुप हो जाती है और
मौन में अपनी दुनिया बसाती है

क्या सच सुनाने के लिए भी दुनिया को सुनना पड़ता है

यह चिड़िया उड़ते-उड़ते
खड़ी हो जाती है और
मुझे गोल-गोल घुमाती है

क्या दुनिया नापने के लिए अपने अंदर चलना होता है

यह चिड़िया चुगते-चुगते
मन के सारे दुख चुग जाती है और
पेड़ से अक्सर यह बुदबुदाती है

क्या शैतान परिंदों को भी महसूस अकेलापन होता है

हर बादल बरसने के लिए पैदा नहीं होता
हर बारिश फगुआ सा नहीं भिगोती

होली खेलने के लिए क्या जरूरी होली में जलना होता है

घोंसला लेकर उड़ने वाली
यह चिड़िया मुझसे पूछती है

क्या प्रेम करने के लिए प्रेम में बार-बार जलना होता है
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मेरे बारे में

mathura, uttar pradesh, India
पेशे से पत्रकार और केपी ज्योतिष में अध्ययन। मोबाइल नंबर है- 09412777909 09548612647 pawannishant@yahoo.com www.live2050.com www.familypandit.com http://yameradarrlautega.blogspot.com
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