शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

मैं बारूद में हूँ

(ई हिंदी साहित्यिक पत्रिका कथा व्यथा के सितंबर 09 अंक से साभार)

-पवन निशान्त-

मैं बारूद में था
और लगातार फट रहा था
मैं फट रहा था और बहरों के
कान लगातार फोड़ रहा था
उनसे मैल निकल रहा था
मवाद निकल रहा था
चीखें निकल रही थीं
कई कराह रहे थे और कुछ कसमसा रहे थे
फूटे कान बुदबुदाने लगे थे
वे फटना नहीं चाहते थे मगर
मैंने उन्हें फोड़ दिया था।

मैं सालों बारूद में रहा
और दसों दिशाओं से गायब हो गए बहरे
सर्जरी कराने लगे कई बहरे
या कान को हाथ में रखकर चलने लगे
बारूद का खौफ बहरों पर तारी था
कोई बहरा ढूंढ लाने पर ईनाम घोषित कर दिया गया था
ढूंढे नहीं मिलते थे बहरे
जनता अदालत के बीच पड़ी कुर्सियों पर
तहसील दिवस में चौड़ी टेबिल के इर्द-गिर्द
और न उस इमारत में जहां चुनी हुई राजनैतिक आत्माएं
गांधी का सूत पहने सबसे पहले बहरा होने का
उपक्रम करतीं अक्सर दिख जाती थीं।

मैं बारूद में हूं
कोई गूंगा है तो भी
उसे सुना जाने लगा है
खेत पर खाली हाथ जाने वाले
मुआवजे के हकदार हो गए हैं
साइकिल चला लेने वाले
लखटकिया बाइक लेकर लौट रहे हैं
कोई बोलता है तो उसे चीख माना जाने लगा है
शिकायत करते ही समाधान चलकर आने लगे हैं
लोगों की चौखट पर सुबह सुबह।

अफसर फूटे कानों से अलंकृत हैं
और उपकृत दिखने की मुद्रा में खड़े हैं
गति को रोक देने वाला निशान (यह निशान लाल भी हो सकता था)
दौड़ते हुए सिस्टम की पहचान है अब।

मैं बारूद में बसे रहना चाहता हूं
लोगों ने मुझे दीर्घायु होने का आशीर्वाद दिया है।।


परिचय:

जन्म-11 अगस्त 1968, रिपोर्टर दैनिक जागरण, रुचि-कविता, व्यंग्य, ज्योतिष और पत्रकारिता
पता-69-38, महिला बाजार, सुभाष नगर, मथुरा, (उ.प्र.) पिन-281001.

E-mail:pawannishant@yahoo.com

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस प्रस्तुति के लिए.

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मेरे बारे में

mathura, uttar pradesh, India
पेशे से पत्रकार और केपी ज्योतिष में अध्ययन। मोबाइल नंबर है- 09412777909 09548612647 pawannishant@yahoo.com www.live2050.com www.familypandit.com http://yameradarrlautega.blogspot.com
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