नव वर्ष की आत्मीय शुभकामनाओं के साथ--
अच्छा हुआ
आ तो गया पूस
धुन भी गयी जड़ कपास
अच्छा हुआ
फुटपाथियों को भी याद आयी रुई
गर्म हो गयी कल्लू की दुकान
अच्छा हुआ
जम गयीं लाल रक्त कणिकाएं
किसी के हिंसक आह्वान पर
अच्छा हुआ
सब एकमत तो हुए
एक रजाई की वजह से
अच्छा हुआ
विचलित हुआ नया खून
ऋतु के गिरते तापमान में।।
The worldwide economic crisis and Brexit
-
Brexit is a product of the worldwide economic recession, and is a step
towards extreme nationalism, growth in right wing politics, and fascism.
What is t...
8 वर्ष पहले
3 टिप्पणियां:
शब्दों के माध्यम से भाव और िवचार का श्रेष्ठ समन्वय िकया है आपने ।
आपको नववषॆ की बधाई । नया आपकी लेखनी में एेसी ऊजाॆ का संचार करे िजसके प्रकाश से संपूणॆ संसार आलोिकत हो जाए ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
संध्या जी के ब्लोग से यहां आया हूं. टिप्पणी जो आपने वहां दी थी, ध्यान खिंच गया.
बड़ी प्रभावी कविता और अत्यन्त ही महत्वपूर्ण यह पंक्तियां-
"अच्छा हुआ
विचलित हुआ नया खून
ऋतु के गिरते तापमान में।।"
धन्यवाद.
Samay se vartalap karti, har nabj ko chuti, jeevan se bhari rachna ke liye badhai swikaren.
Nav varsh mangalmay ho!
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