रविवार, 20 सितंबर 2009

मेरे दोस्त को जनम दिन मुबारक

मुझे नहीं पता आप क्या थे, आज आप क्या हो, कितना अंतर है आज के औऱ कल के आप में, पता नहीं, वैसे भी मैं कौन होता हूं यह तय करने वाला, लेकिन इतना तय है कि आप हो, जहां भी हो, जैसे भी हो, टूटे-फूटे या कि पूरे या अधूरे, यदि न भी हो तो मैं कौन होता हूं, यह तय करने वाला, लेकिन एक बात जो बार-बार सुख देती है, वह यह कि कोई संघर्ष के लिए तैयार है। कोई है जो अपने वजूद के लिए खड़ा होना चाहता है। उसकी लड़ाई किसी से नहीं है, अपने आप से है औऱ ल़ड़ाई भी इतनी महीन तरीके से लड़ी जा रही है कि आप लड़ते-लड़ते थका हुआ और निराश महसूस करते हैं, कई बार पस्त हो जाते हैं, पर खड़े होने का जज्बा नहीं मरता। नितांत अकेले और बिना किसी हथियार के, जो मिला उसी में अपना साथी ढूंढते हुए। यह कैसी बेबसी है और इसका कोई अंत है भी या नहीं। लड़ाई भी न तो खत्म हो रही है और न ही तेज हो रही है। वे लोग और हैं जो बिना लड़ाई के जी रहे हैं। आप नहीं जी सकते। वे लोग और हैं, जो बिना प्रेम के जी रहे हैं, आप नहीं जी सकते। यही तो फर्क है, जो परमात्मा ने आपको दिया है। और यह जो दूसरा जन्म हो रहा है, इस जन्मदिवस के साथ, अब यह समझ लेना अच्छी तरह से कि मुस्कारहट भी श्वास है। प्रेम भी श्वास है। और जैसे बिना भोजन के आदमी मर जाता है-बिना प्रेम के आदमी मर जाता है। बिना भोजन के शरीर मरता है, बिना प्रेम के आत्मा मर जाती है। तो बिना भोजन के तो तुम जी भी सकते हो-थोड़े दिन, बिना प्रेम के तो तुम क्षण भर नहीं जी सकते। क्योंकि प्रेम ही तुम्हारी आत्मा की श्वास है। जैसे शरीर को आक्सीजन चाहिए-प्रतिपल, ऐसे ही प्राणों को प्रेम चाहिए प्रति पल। लेकिन तुम जहां भी होते हो, डरे-डरे रहते हो, कोई इंकार न कर दे, कोई छोड़कर न चला जाए, जैसे चला गया है कोई, पता नहीं कब तक के लिए। लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। रब इतनी परीक्षा नहीं लेता, जितनी कि आपने समझ रखी है। कई बार रब सामने होता है, पता नहीं चलता, कई बार ठंडी हवाएं चलती हैं, पर पता नहीं चलता। कई बार अपने पहचान में नहीं आते। आखिर यह कैसा प्रेम है, जो आपकी प्रसन्नता के विपरीत है। यह कैसा प्रेम हुआ, जो आपको दुखी देखना चाहता है। यह कैसा प्रेम हुआ, जो आपको बांधता है, मुक्त नहीं करता। तुम्हें पता है एक होता है सुख औऱ एक होता है दुख। सब यही कहते हैं, अनुभवी और बड़े-बूढे़ भी, लेकिन यही दोनों नहीं होते। एक औऱ अवस्था है, जिसका नाम है आनंद। औऱ इसे कभी भी महसूस किया जा सकता है, सुख में भी, दुख में भी। और एक बात पते की, आनंद जितना स्ट्रगल में है, दुख में या उतना सुख में नहीं है। इसलिए हर दिन एक चेंज आपमें दिखना चाहिए, ऐसा होगा तो लगेगा कि कुछ लाइनें एक बड़ी कहानी का बीज बन रही हैं और ऐसी कहानी मैं लिखता ही रहूंगा, जो मेरी नजर में बकवास तो है, पर इतनी कोरी बकवास भी नहीं है कि उसका कोई अर्थ ही न हो। है न......और यदि मेरे से इत्तिफाक रखते हैं तो आज से कुछ बातों पर अमल जरूर करना-
जैसे कि आप अकेले नहीं हैं और किसी को अकेले रहने नहीं देंगे।
आप किसी के मालिक नहीं हैं और आप पर किसी की मिल्कियत भी नहीं है।
आप अकेले ही प्यार में नहीं हैं, और भी लोग हैं ऐसे, क्योंकि इस जगत में प्रेम है।
आप ही टूटे हुए नहीं हैं, औऱ भी हैं जो पतझड़ हैं, पर वे जमीन के उस हिस्से में समाना चाहते हैं, जहां से फिर बीज बनकर उपज सकें। इसलिए जब भी ऐसा लगे कि हाथ में कुछ नहीं रहा, तो परिस्थिति पर छोड़ देना सब कुछ...और रब इम्तिहान लेने वाला सख्त मास्टर नहीं है।
जितना आपको इतंजार है, किसी दूसरे को भी इंतजार है अपने अच्छे समय का और सच्चे दोस्त का........।
शुभ रात्रि, इस आशा के साथ कि इस रात की सुबह होगी।
और हां..कस्टमर कभी रिश्तों की दहलीज पर आकर खड़े नहीं होते, वे नए हों या पुराने। कस्टमर के जेब में पैसे होते हैं, फीलिंग्स नहीं। और फीलिंग्स का अभाव भिखमंगापन होता है।

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पेशे से पत्रकार और केपी ज्योतिष में अध्ययन। मोबाइल नंबर है- 09412777909 09548612647 pawannishant@yahoo.com www.live2050.com www.familypandit.com http://yameradarrlautega.blogspot.com
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