रविवार, 8 नवंबर 2009

महगाई बढ़ाने वालों को पहचानो

क्या केंद्र सरकार जानबूझकर महंगाई बढ़ाने का काम कर रही है। आगरा में बीते दो दिनों से जो कुछ हो रहा है, वह स्वाभाविक ही है। केंद्रीय मंत्रियों के आने वाले बयानों के बाद जिंस से लेकर सोना-चांदी तक की कीमतें जिस तरह बढ़ जाती हैं, उसे अब आम आदमी भी समझने लगा है। एमसीएक्स और केंद्रीय मंत्रियों का सिंडिकेट क्या वास्तव में बन चुका है।
चार दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बयान दिया कि मंहगाई खरीफ सीजन तक रह सकती है। फिर क्या था, गेहूं का आटा 14 रुपए से बढ़कर 18 रुपए हो गया। चीनी 35 रुपए से 40 रुपए पर पहुंच गयी। दालों के भाव दो से चार रुपए तक बढ़े हैं। चावल पांच रुपए तक महंगा हुआ है। वायदा बाजार में चार दिन पहले तक दिसंबर के अरहर के सौदे 95 रुपए के हो रहे थे, पर पवार के बयान के एक घंटे के अंदर यह 120 रुपए तक उछल गए। पवार के बयान ने फल बाजार में भी आग लगा दी। सेब 40 से 100रुपए हो गया तो सफेद खरबूजा 40 से 70, खजूर 70 से 100 और केला 15 से 22 रुपए किलो हो गया। मसाले भी महंगाई के बुखार से नहीं बच सके। चाय की पत्ती 200 रुपये से ऊपर है। यह मथुरा जैसे छोटे शहर का खुदरा सूचकांक है तो बड़े शहरों की स्थिति समझी जा सकती है।
महंगाई से आम आदमी कराह रहा है और कह रहा है कि तीन राज्यों में जीत के बाद केंद्र सरकार के मंत्री बेलगाम हो चुके हैं। बयान देकर जानबूझकर महंगाई बढ़ाई जा रही है। पांच दिन पहले केंद्र सरकार ने कहा कि चांदी की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा था। इस बयान के बाद चांदी तेरह सौ रुपए उछल कर 27 हजार के पार हो गयी। अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने करीब 13 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के हिसाब से रेट तय किए हैं, पर भारत ने 6.7 अरब डालर की लागत से सोना खऱीदा है, जो 16 हजार रुपए प्रति दस ग्राम की दर का बैठता है। खऱीद की खबर जैसे ही मीडिया में आयी सोना 17 हजारी हो गया। भारत के कदम पर आईएमएफ के चेयरमैन ने भी हैरानी जतायी है।
सवाल यह उठता है कि सरकार का काम यह बयान देना है कि महंगाई को काबू में रखा जाएगा और जमाखोरों पर लगाम लगायी जाएगी, कि बार-बार महंगाई को उकसाना है। खुद कांग्रेस के अंदर भी इस बयानबाजी के खिलाफ आवाज उठ चुकी है, पर इन वजनदार मंत्रियों का असर इतना है कि खुद पीएम और सोनिया गांधी भी इस खेल को नहीं समझ पा रहे। एमसीएक्स के सिंडिकेट को नई दिल्ली से कौन संचालित करता है, यह किसी से छिपा नहीं है और सत्ता के गलियारों में चरचा में है। सारा खेल इसी के सहारे चल रहा है और आम आदमी की जेब ढीली की जा रही है। कांग्रेस को मुगालता हो गया है कि जनता पर अब मंहगाई का असर नहीं होता।
लोगों का कहना है कि न तो देश में युद्ध के हालात हैं और न अकाल पड़ा है, लेकिन अगर 24-24 घंटे में कीमतें बढ़ रही हैं, तो कहीं तो गड़बड़ है, जिसे सत्ता का वरद हस्त मिला हुआ है। आगरा में जनता का सड़क पर उतरना इस बात का संकेत है कि अब वह यह सहने के मूड में नहीं है। यह चिंगारी है जो पूरे देश में फैल सकती है। विरोधी दलों की उदासनीता भी लोगों को साल रही है। एक स्थिर सरकार के बाद भी वह ठगा महसूस कर रहे हैं। मीडिया जड़वत खबर प्रकाशित कर रहा है। ऐसी खबरें आ रही हैं, जो केवल घटनात्मक हैं। जनता को जागरुक करने की खबरों का अभाव साफ नजर आ रहा है।

4 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत सटीक लिखा है आपने, क्या करे जनता मूर्ख है जो समझ नहीं पा रही ! मुझे तो यहाँ तक लगता है कि हाल का वन्दे मातरम विवाद सत्तापक्ष और मुल्लो की सियासत का ही नतीजा है देश का ध्यान असली मुद्दों से हटाने के लिए ! देश में लापरवाही बढ़ती ही जा रही है सरकार की निक्कामियत के कारण ! जयपुर में जो पांच सौ करोड़ रूपये का नुकशान हुआ, उसमे किता राशन इंपोर्ट किया जा सकता था, किसानो को उचित मूल्य दिया जा सकता था उस पैसे से, लेकिन जिम्मेदारी लेगा कौन पहले ऐसी कोई घटना होने पर मंत्री इस्तीफा दे देता था, आजकल तो फैशन सा हो गया कि बस धुल झोंकने के लिए जांच कमेटी बिठा दो , इनका कर्तव्य पूरा हुआ ! पता नहीं लोग कब समझेंगे और आवाज बुलंद करेंगे ?????

BS ने कहा…

मेरे विचार में तो जनता के मंहगाई की कोई चिन्ता नहीं है और न ही हाल के चुनावों को नताजों को देकर जनता अब मंहगाई की शिकायत करने की हकदार है। ये वो ही जनता है जिसने केवल प्याज के दाम बढ़ने पर भाजपा सरकार के हारा दिया था पर सब चीजों के दाम बढ़ने पर भी कांग्रेस की सरकारों के जिताया है तो इसका मतलब है कि जनता के लिये वास्तव में मंहगाई कोई मुद्दा नहीं है। मैंने अपने जीवन में 1989 से अब तक सभी चुनावों में देखा है कि मंहगाई जनता के लिये कोई मुद्दा कभी नहीं है तो जनता क्यों न भुगते।

Mithilesh dubey ने कहा…

सरकार कुछ नहीं कर सकती । वह जो कुछ भी कहती है या करती वह सिर्फ चुनाव के समय होता है।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सही कहा आपने।
मंहगाई की यह रफतार तो रूकने का नाम ही नहीं ले रही है।
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और अब दो स्क्रीन वाले लैपटॉप।
एक आसान सी पहेली-बूझ सकें तो बूझें।

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मेरे बारे में

mathura, uttar pradesh, India
पेशे से पत्रकार और केपी ज्योतिष में अध्ययन। मोबाइल नंबर है- 09412777909 09548612647 pawannishant@yahoo.com www.live2050.com www.familypandit.com http://yameradarrlautega.blogspot.com
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