यदि दीये पानी से जल सकते तो दीपावली पर इस बार लोग जरूर घी-तेल के दीये जलाने से परहेज कर सकते थे और अगर मिठाइयां शक्कर की जगह गुड़ से बनतीं तो वह निश्चित ही आज के अपने भावों से ज्यादा मंहगी मिलतीं। शेयर बाजार के डूबने से अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है तो जरूर दीपावली तक कइयों के आशियाने उड़ने वाले हैं।
वित्त मंत्री मानें न मानें पर बाजार से तरलता गायब है और हर खास ओ आम को अपने सपने तोड़ने के लिए कठोर फैसले करने पड़ रहे हैं। सेक्टर कोई हो, सन्नाटा हर ओर पसरा हुआ है। श्राद्ध पक्ष के बाद उठने वाले बाजार नवरात्रि बीत जाने के बाद भी दोहरी कमर के दर्द को सहला रहे हैं। आलम यह है कि गाय का शुद्ध घी पांच सौ रुपए किलो तक में नहीं मिल रहा, डेयरी का घी अमूल के डिब्बा बंद से ज्यादा मंहगा है। चीनी बीस रुपए किलो मिल रही है तो गुड़ ने सीजन शुरू होने से पहले अपनी औकात बढ़ा ली है। यह 22 रुपए किलो बिक रहा है।
सब्जियां इतनी मंहगी हैं कि एक किलो भिंडी से किसी ब्लू चिप कंपनी का एक शेयर खरीदा जा सकता है और एक किलो आलू की कीमत में स्माल कैप की कई कंपनियों के शेयर हासिल किए जा सकते हैं। अठारह साल पहले मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री की हैसियत से जिस पूंजीवाद को स्थापित किया था, आज उनके प्रधानमंत्रित्व काल के अंतिम महीनों में न केवल वह दम तोड़ रहा है, बल्कि मथुरा जैसे जनपद में भी आम आदमी इस आदमखोर अर्थव्यवस्था का आए दिन शिकार बन रहा है।
हालात वर्ष 90 के दीपावली पहले जैसे हैं। तब भी बाजारों के सन्नाटे खबर बनते थे, लेकिन तब मंदड़ियों का राज था, सरकार ने उससे निबटने को कई कदम उठाए थे और रुपए के प्रचलन पर जोर दिया था। आज रुपया इतना सर्कुलेशन में है कि बाजार से तरलता गायब है, बैंकों में पेमेंट का संकट है। नकली नोट बाजार में हों न हों, पर बैंकों के कैश काउंटर और एटीएम से धड़ाधड़ बाहर आ रहे हैं। कोई दिन शायद ही ऐसा जाता हो, जब मथुरा की किसी न किसी बैंक में किसी की गड्डी में कोई नकली नोट न निकलता हो।
कालोनाइजर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं तो दीपावली की पूर्व संध्या पर उनके फ्लैट और प्लाट की बुकिंग न के बराबर है। थोक में गिफ्ट बांटने वाले सस्ते सौदे के लिए दिल्ली तक की दौड़ लगा रहे हैं। बड़े दुकानदार काला बाजारी से नहीं चूक रहे तो बाट-माप विभाग ने सात सौ से लेकर बारह सौ रुपए तक बांट चेक करने का अभियान चलाया हुआ है। रेडीमेड गारमेंट की दुकानों से ज्यादा शहर का मंगल बाजार लोकप्रिय हो रहा है।
कर्मचारियों के हवाले दीवाली----------------------
दीपावली इस बार काली होने के कारणों में एक कारण और भारी पड़ सकता है, वह है वेतन भुगतान। दीवाली इस बार महीने के अंत में पड़ रही है, यानि 28 अक्टूबर को। वेतन कर्मियों के विभाग और हम जैसे कर्मचारियों के मालिक दीपावली से पहले वेतन दे पाएंगे, यह तो अभी तय नहीं है, पर कर्मचारियों के सितंबर माह का वेतन इस महीने के पहले पखवाड़े में ही स्वाहा हो चुका है, जाहिर है बाजार में खरीददारी इसलिए भी नगण्य है।
चतुर्वेदी परिवारों में डालर स्माइल
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बाजार का आसर सकारात्मक भी हो सकता है। रुपए में पच्चीस फीसदी तक की गिरावट से स्थानीय चतु्र्वेदी समाज के सैकड़ों परिवारों में दीपावली पर डालर की चमक नजर आ रही है। एक अनुमान के मुताबिक स्थानीय इस समाज के करीब हजार-आठ सौ लोग दुबई और यूएई में काम कर रहे हैं। पिछली दीपावली पर डालर की कीमत गिरने पर उनकी कमाई सिकुड़ने लगी थी, लेकिन अब रुपए के मुकाबले डालर 49 रुपए के आसपास पहुंचने के साथ ही उनके परिजनों के चेहरे खिलने लगे हैं। दुबई से यहां अपने परिवारों में पैसे भेजने का उत्साह भी बढ़ा हुआ है।
हाय, इस सप्ताह क्या होगा--------------------
शेयर बाजार लगातार नीचे आ रहा है। अमेरिका का सब प्राइम संकट एक निजी बैंक को भी प्रभावित कर गया है। ऐसी अफवाह ने बैंक में सावधि जमा करने वालों का भी दम निकाल रखा है। उक्त बैंक ने छोटे लोन देना तो एक महीने से बंद कर रखा है, अब इन हाउस पेमेंट रुके हुए हैं और एफडी के पेमेंट भी सही सलामत नहीं हो पा रहे। कहते हैं कि इस बैंक का चालीस फीसदी पैसा अमेरिका में निवेशित होने से इसे भारी घाटा हुआ है। तो क्या केंद्रीय सरकार, वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक निवेशकों को जो ढांढस बंधा रहे हैं, वह दिखावा है। सच कुछ भी हो, कहा जा रहा है कि अगर यह बैंक दिवालिया हो गया है तो इस सप्ताह सेंसेक्स आठ हजारी भी हो सकता है औऱ तब निफ्टी 2100 के पास आएगी और शेयर निवेशकों के साथ-साथ आम आदमी की दीपावली भी काली होगी। कहीं ऐसा न हो कि रविवार तक मेगा स्टार अमिताभ बच्चन की सेहत की दुआ कर रहे लोगों को अर्थव्यवस्था के लिए दुआ करनी पड़ जाए।
The worldwide economic crisis and Brexit
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Brexit is a product of the worldwide economic recession, and is a step
towards extreme nationalism, growth in right wing politics, and fascism.
What is t...
8 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
उम्दा सर. सटीक. जारी रहें.
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