ऐसे समय की
तस्वीर चाहते हैं हम लोग, जिसमें
सभी कुछ हो सभ्य, शालीन और सुसंस्कृत
तस्वीर में समय हंस रहा
अठखेलियां कर रहा हो
बच्चों के साथ
बूढ़ों के साथ बैठा हो चारपाई पर
समय चाहे हो घर से बाहर
पर मुकम्मल तौर पर घऱ लौटता हो
जैसे लौटता है गणतंत्र दिवस
और न भी लौटता हो
तो भी विश्वास हो हमें कि
लौट आएगा एक दिन
समय जाता हो दिल्ली-कोलकाता
यात्रा करता हो मेट्रो या ट्राम्वे से, किंतु
जब भी घर लौटा हो तो
इस तरह नहीं, जैसे
दफ्तर से लौटता है
किसी का पति, भाई या बेटा
थका-थका सा, बोझिल और टूटा हुआ
हम लोग आए हैं
बंगलुरू से, अहमदाबाद से
भुज से, भोपाल से भी आए हैं कुछ लोग
कुछ लोग आ रहे हैं नंदी ग्राम से
और जो नहीं आ सके हैं लातूर से, मुंबई से
या ताज-ओबेराय से, उनकी लाए हैं हम पसंद
हम लोग ऐसे समय की
तस्वीर चाहते हैं
जो बूढ़ों की तरह खूंसट न हो
बहरा न हो अतीत सा
फुसफुसाता न हो
फटने वाले बारूद की तरह
तस्वीर में भी, डरावना
न हो मृत्यु सा
वह इस सदी सा न हो
और ऐसी ही कई सदियों सा भी न हो
उसमें मंदी न हो महंगाई न हो
बाटला हाउस की जग हंसाई न हो
वह तो ऐसा हो
जिसे हम ले जा सकें
अगली सदी में
जैसे लोग ले जाते हैं
कोई भेंट, कोई उपहार किसी की खुशी में
प्रेमी देते हैं जैसे सरप्राइज
और जैसे हम ले गए थे
हाईस्कूल में पास होने की खबर
अपने घर
कृपा करके पहले हमें
हमारी तस्वीर बना दीजिए
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What is t...
8 वर्ष पहले
4 टिप्पणियां:
गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई
बहुत अच्छा......गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
bilkul theek kahaa aapne....
maanav mn ki hamesha isi tarah ki
hi abhilaasha rehti hai..ye soche
ke bina hi k aankhein moond lene se
mushkilein duur nahi ho jateeN...
lekin aapki rachna mein ye sandesh
spasht roop se chhipa hai k purushaarth ke bina kuchh bhi sambhav nahi hai...zindgi mein
dhoop aur chhaaoN dono zrooro haiN.
ek achhi aur mukammil rachna ke
liye badhaaee svikaareiN.
---MUFLIS---
Samay ka pura dard ubhar aaya hai hamare samay ki tasveer me. sundar.
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