ह्रदय बींध कर चली गयी प्रेमिकाओं के
चित्रों की प्रदर्शनी लगी है
चित्र में प्रेमिका हंस रही है
ठिठोली कर रही है
कविता लिख रहे प्रेमी का
उड़ा रही है मजाक
पहाड़ से कूद मरने का डर
दिखा रही है उसके वियोग में
चालाक भाई से नजर बचा
पढ़ना चाह रही है उसके लिए
लिखा गया प्रेम पत्र
कामायनी की जगह लिखने पड़ रहे हैं पत्र
गणित के सूत्र रटने के स्थान पर
हिसाब लगा रही है उसके साथ बिताए दिनों का
इम्तिहान में मिलने जा रही है चोरी छिपे पार्क में
और योजना बना रही है
कहीं निकल जाने का उसके साथ
इम्तिहान बाद एक और इम्तिहान के लिए
चित्र से धीरे-धीरे बाहर आ रही प्रेमिका
उसे ले रही है आगोश में
सुला रही है सीने पर
लगता है पूरी तरह उतार देगी थकान
उसके पैरों में घुंघरू झुनझुनाएंगे
तबला बजेगा और किसी बादशाह की नजर से
देखेगा वह उसका दैवीय नृत्य
दूर जा चुकी प्रेमिकाएं
वापस आ रही हैं अपने वतन
एक प्रेमी उसे देखते ही
सीने से सटा लेगा
दूसरा उसके साथ जीभर नाचेगा
तीसरा फिर से उठाएगा कलम
चौथा पहाड़ पर जाएगा उसके साथ
पांचवा चला जाएगा दिल्ली उसे लेकर
कोई घर पर ही रखेगा मां-बाप के साथ
और कोई हो जाएगा इतना मस्त कि
आने वालों का करने लगेगा मार्गदर्शन
एक जो मरने जा रहा था
लौटते हुए गुनगुनाएगा प्रेम के गीत
एक अपनी जेब के सारे पैसे
भिखारिन को देना चाहेगा
ताकि वह लौट सके अपने भिखारी के पास
और अगला अपना सबकुछ लुटाकर
ऐसे होगा खुश कि पहले कभी हुआ न हो
चित्रों में हरकत होने लगी है
अपना स्थान बना रहे हैं चित्र
प्रदर्शनी अभी लगी ही रहेगी
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8 वर्ष पहले
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